Shekhargyan
Saturday 21 September 2019
डूब जाऊँगा एक दिन किनारे तो आ जाने दो,
रो लूँगा एक दिन आँखें तो भर आने दो।
हार जाऊँगा हर दिन एक बार जीत तो जाने दो,
निभा लूँगा सारी रश्में एक बार खुलकर कर तो जीने दो।
- शेखर
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